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Wednesday, May 15, 2013

तेरा हँसना


तेरी  घुमक्कड़ी  के  चर्चे  भले  ही  आम  हों...........
वफ़ा  पर  मेरी,  तू  फिर भी  ऊँगली  न  उठा  सकेगा.

11 pm, 13/5/2013

लाख  चाहूँ  तो  भी  बेवफा  तुझको  कह  नही  सकती
क्यूंकि  गर  तू  बेवफा  हुआ  तो  मेरी  वफ़ा  कहाँ  रहेगी

4.11pm

अपना  अपना  अंदाज  है  तेरा-मेरा  गम  भुलाने  का
तू  महफिलों  में  जाकर  हँसता  है, मैं  तुझे  देख  कर

4.13pm, 15/5/2013

3 comments:

  1. तेरी वफा पर नाज है तुझे
    तेरी बफा राज पता है मुझे
    डैश बोर्ड पर पाता हूँ आपकी रचना, अनुशरण कर ब्लॉग को
    अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
    latest post हे ! भारत के मातायों
    latest postअनुभूति : क्षणिकाएं

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  2. जब प्रेम किया है तो वफ़ा की बात बेमानी है ...
    लाजवाब शेर हैं सभी ...

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  3. लाजवाब बहुत अच्छा

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Thanks for giving your valuable time and constructive comments. I will be happy if you disclose who you are, Anonymous doesn't hold water.

आपने अपना बहुमूल्य समय दिया एवं रचनात्मक टिप्पणी दी, इसके लिए हृदय से आभार.