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Sunday, August 26, 2012

heartfelt thanks सस्नेह आभार



11201 steps we walked together, heartfelt thanks

मिलता  रहे  यूँ  स्नेह  बारम्बार 
11201 कदम  साथ  चले  आभार 

हमने  जब  चाहा  टूट  कर  चाहा  सच  है  ये  भी 
पर  तुमसे    तब  कह  पाए    कह  पाएंगे  कभी [2.30pm]

तुम  कर  लो  मुझसे  मेरी  ही  शिकायत 
  कहूँगी  कभी,  है  बेजा  तेरी  ये  शिकायत [3.18pm] 

मेरी  खामोशियों  को  तुमने,  सच,  है  जाना 
मैं  जानूं  और  तुम  भी,  पर  दोनों  ने  ना  माना [3.35pm] 

वो  कहते  हैं  तुमको  मोहबत  हो  ही  नही  सकती 
भूलते   हैं  उनकी  मोहब्बत  तो  हमसे  रोशन  है  होती [11.29pm] 

हम  तो  दूर  रहकर  भी  तेरे  साथ  हैं 
तेरे  छिले  क़दमों  तले सदा  मेरे  हाथ  हैं [ 11.41pm] 

  कुछ  कह  पाऊँ  तेरी  मोहब्बत  की  तहरीर  पर 
अश्क  हैं  कि  रुकते  नहीं,  होंठ  हैं  कि  हिलते  नहीं [11.49pm] 
25/8/2012

6 comments:

  1. हम तो दूर रहकर भी तेरे साथ हैं
    तेरे छिले क़दमों तले सदा मेरे हाथ हैं

    बहुत ही बढ़िया प्रीति जी ।

    सादर

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  2. sabdo ka chayan aur unhe pirone ki saili bahut hi sundar hai,

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  3. बहुत बढ़िया प्रीति जी ।

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  4. तुम कर लो मुझसे मेरी ही शिकायत
    न कहूँगी कभी, है बेजा तेरी ये शिकायत ..

    बहुत खूब ...
    उनकी शिकायत पे भि खामोश रहना
    प्रेम में ये सितम हंस से सहना ....

    क्या बात है लाजवाब वक्त के लम्हे सभी ...

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  5. बहुत सुंदर

    तुम कर लो मुझसे मेरी ही शिकायत
    न कहूँगी कभी, है बेजा तेरी ये शिकायत

    क्या बात

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  6. काबिल-ए-तारीफ भावनाएं । स्वागत है।

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