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Sunday, May 30, 2010

ये गंगा तुममें नहीं बहती.

सबने



कहा मुझे-



“तुम ही



प्रीत हो ”





राधा सी भक्ति



मीरा सा प्रेम .





वैसे ही



चाहा मैंने



तुम्हे



राधा सी बौराई



मीरा सी दीवानी.





पर



तुम



न जान सके.



​शायद- प्रेम ​ की 
 

ये गंगा



तुममें



नहीं



बहती.

5:13pm, 20/4/10

1 comment:

Thanks for giving your valuable time and constructive comments. I will be happy if you disclose who you are, Anonymous doesn't hold water.

आपने अपना बहुमूल्य समय दिया एवं रचनात्मक टिप्पणी दी, इसके लिए हृदय से आभार.