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Saturday, March 20, 2010

मेरा नेह

आप कहते हो, खुश क्यों नहीं रहती
क्यूँ आहों की नदी, है हरदम बहती
क्या सोचते हैं, मुस्कुराने की चाहत नहीं
पंछियों सी चहकने की, आदत नहीं 
 
चाह है बगिया में तेरी, फूलों सी खिलूँ
तेरी बाँहों में, तेरी ही, महक से महकूँ
नयन तेरे प्यार की रौशनी से झिलमिलाएं
प्रीतभरी मुस्कान से दोनों के ह्रदय मुस्काएं

तुम्हारी चाहत, मेरा कर्तव्यपथ है

तुम्हारा साथ, मेरी चिरचाहत है
मेरे नेह से भरी, जीवनयात्रा आसान हो
 
नेह-दीप से, मनआँगन, दैदीप्यमान हो

1.16 a.m. 10/3/10

1 comment:

  1. प्रिय दोस्त

    अतीजीवन का प्यार भरा शब्द
    कलम कलम कदम रहो

    स्नेह
    के जी सूराज
    --

    ReplyDelete

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